दादी की और नानी की
सूरज चंदा तारों की
मीठे खट्टे फसानों की
रानी के रूठने की, राजा के मनाने की
परियों के देस से आने वालों की
कुछ कहानियाँ हैं, मासूम से ख़यालों सी..
प्यार में जीत की, हार की
कवितायें रंगने वाले कलाकार की
एक गाँव है, गाँव के मल्हार की
सावन की पहली बौछार की
सपनो को उड़ान देने वाली आवाज़ की
कुछ कहानियाँ हैं, परवाज़ सी..
मजबूरियों से बँधे हालातों की
जज़्बातों की, ख़यालातों की
यादों के धागों में उलझी हुई
पल्लू दाँतों में चपेटे, राह तकते
चौखट पे खड़े खड़े इंतज़ार की
कुछ कहानियाँ हैं, गुनहगार सी..
फिर कुछ कहानियाँ ऐसी भी हैं
जो सुनने में बड़ी अच्छी लगती हैं
आधी झूठी, आधी सच्ची लगती हैं
दिलचस्प मोड़ों से भरी
कभी एक राह, कभी दूसरी राह मुड़ी
गहरे पाठ पढ़ातीं
हंसाती, रुलातीं, डरातीं, समझातीं
बहलातीं, बहकातीं, फुसलातीं, लुभातीं
कहानियाँ जिनका अंत तो है, लेकिन वो रुकती नहीं
गहरे ऐसे उतरती हैं कहीं, कि फिर ठहरती नहीं
रातों से काली, उमरों से लंबी
कहानियाँ जो लोगों में ज़िंदा रहती हैं
बहती हैं, बहती हैं, बस बहती हैं..
तुम, मैं, हम सब, आख़िर कहानियाँ ही तो हैं .
2 comments:
Bahut khoob .. Waaaah!! Kya flow hai .. Kya soch hai ..
Umda prastooti !!
Aapki priya paathika:)
Anuradha SKB
thank you :)
Post a Comment