याद है
जब तुम छोटे थे
ट्रेन में सफ़र करने का शौक बस शुरू ही हुआ था
कैसे विंडो सीट के लिए झटपट भागते थे
ट्रेन स्टेशन छोडती, स्पीड पकड़ती
और तुम्हारी नज़रें जम जाती खिड़की से बाहर
पहले प्लॅटफॉर्म गुज़रता, फिर शहर
दूर तक निगाहों में तेज़ हवा और खेत के खेत समाते जाते
कभी जंगल आता, कभी छुट पुट कोई स्टेशन
तुम बाहर ही देखते रहते
खिड़की के बाहर की दुनिया पीछे भागती हुई मालूम पड़ती
होड़ ही होड़ में पेड़, सर पर पैर रख दौड़ लगाते
स्कूल बस के लिए जैसे सुबह भागते थे तुम
और पीछे से माँ टिफिन लिए दौड़ी चली आती थी
वैसे ही कुछ इधर पेड़ों के पीछे से पहाड़ दौड़े आते
मानो कह रहे हों, "अरे रुक बेटा लंच-बॉक्स तो लेता जा!"
कभी कभार अलसाए-अजगर सी नदी आती, लेकिन वो भी सरकती जाती
और खेत, खेतों में
स्प्रिंक्लर, स्प्रिंक्लर से फुदकती पानी की फुहार
उन के बीच में हरी फसल से लंबी ऊगी एक झोपड़ी भी
सबके साथ भागती जाती
तुम्हारी नज़रें उसपर टिकी रहतीं, जब तक वो ओझल ना हो जाती
कुछ मंज़र छूटते, तो कुछ नये और आँखों में आते
पर रुकते नहीं, हमेशा चलते जाते, फिसलते जाते
और फिर..
तुम्हारा स्टेशन आ जाता
तुम्हे लगता कि सब कुछ कितनी जल्दी गुज़र गया
झोपड़ी, शीशम-नीम-आम के पेड़, नदियाँ, खेत, पहाड़, स्प्रिंकलर्स और वो वक़्त
सब कितने जल्दी कहाँ चले गये पता ही नहीं चला
लेकिन अभी तुम्हारी मासूम साँसों को अंदाज़ा नहीं है
कि वो कहीं नहीं गये, वहीं हैं..
बस तुम ज़रा आगे निकल आए हो..
बस तुम ज़रा आगे निकल आए हो..
7 comments:
मेरे आगे मैं दौड़ पड़ी हूँ विंडो सीट के लिए
ट्रेन चल पड़ी है - छुक छुक छुक छुक
हवाएँ पलकों को फरफराने लगी हैं
होठों पर गीत मचलने लगे हैं
कई बार छिलके समेत मूंगफली खा लिया है
यह मासूम खेतों से आगे भागनेवाला बचपन
बहुत प्यारा था !
SUPERB !!
i actually visualized it all... as if.. m a kid... n just grabbed the corner seat with the window :)
http://urvija.parikalpnaa.com/2012/06/blog-post_26.html
http://urvija.parikalpnaa.com/2012/06/blog-post_26.html
Thank you :) :)
aadii ji ,
apni email id den , rasprabha@gmail.com per
It got me back to the times when i used to travel from Kota to Delhi, lost in my own thoughts, a myriad of scenes used to pass by me in that one journey, giving birth to a zillion other thoughts and dreams which I am fulfilling now. :) Beautifully written! :)
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