कहते हैं सुदूर हिमालय में
कैलाश पर्वत के पास
मानसरोवर झील है
दुनिया की सबसे पाक चीज़ों में शुमार
मानसरोवर झील की तलहटी में
कंकर-पत्थर के साथ
आरज़ुएँ और माज़ी भी साफ़ दिखाई देते हैं
इंसानी लम्स से लगबघ अछूती
कोई दाग नहीं, कोई दर्द नहीं
कहते हैं मानसरोवर की ख़ामोशी में
धड़कनें तक सुनाई देती हैं
और कभी खुद का
तो कभी खुदा का एहसास होता है
मानसरोवर के सुकून के किस्से
तो लोगों से सुने हैं
लेकिन सिर्फ मैं ये जानता हूँ -
जो तुम्हे एक बार और देख लूँ
लगा लूँ माथे से तुम्हारे खुरदुरे पैरों को
तो ये रूह पाक साफ़ हो खुद मानसरोवर हो जाए.
11 comments:
Wah .. Very different .. Maa yaad aa gayi .. Ya mere khwaabon wali maa jaisi koi pari ..
:)
sundar ! :)
beautifully wriitten.. no words... :')..
kindof reminding me of the dream i had, that we discussed.
@swati, :))
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 08 दिसम्बर 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
बेहद सुन्दर
http://bulletinofblog.blogspot.in/2015/12/2015_7.html
बहुत सुंदर मानस सरोवर सी स्वच्छ पवित्र।
बेहद शानदार रचना.....
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